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Sambandh Karak - सम्बन्ध कारक "षष्टी विभक्ति" की परिभाषा, चिन्ह, उदाहरण |

Sambandh karak

    संबंध कारक की परिभाषा

    परिभाषा - शब्द के जिस रूप से एक का दूसरे से संबंध पता चले, उसे संबंध कारक कहते हैं। 
    अथवा - 
    संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप की वजह से एक वस्तु की दूसरी वस्तु से संबंध का पता चले उसे संबंध कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिन्ह का, के, की, रा, रे, री आदि होते हैं। 


    इसकी विभक्तियाँ संज्ञा, लिंग, वचन के अनुसार बदल जाती हैं। 
    जैसे - सीतापुर गोपाल का गाँव है।

    उदाहरण के साथ व्याख्या -
    यह मोहन की किताब है। - इस वाक्य में ‘मोहन की’ संबंध कारक है, क्योंकि यह 
    मोहन का किताब से संबंध बता रहा है।
    यह श्याम का बेटा है। - इस वाक्य में ‘श्याम का बेटे’ से संबंध प्रकट हो रहा है। अतः यहाँ संबंध कारक है।
    यह विमला की गाय है। - इस वाक्य में ‘विमला का गाय’ से संबंध प्रकट हो रहा है। अतः यहाँ संबंध कारक है।


    संबंध कारक (षष्ठी विभक्ति) के सूत्र 

    1. सूत्र - [ सम्बन्धे षष्ठी ]
    सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति होती है। 
    जैसे- मम पुत्रः प्रवरः । मेरा पुत्र प्रवर ।
    इदं रामस्य गृहम् अस्ति । यह राम का घर है।

    2. 
    सूत्र - [ षष्ठी हेतु प्रयोगे ]
    यदि किसी वस्तु के हेतु कारण प्रकट करना हो और " हेतु " शब्द का प्रयोग हो तो उस वस्तु या कारण दोनों शब्द में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है |
    जैसे- सः धनस्य हेतोः सेवते | 


    3. सूत्र - [ कर्तृकर्मणो कृति ]
    कृत्-प्रत्ययान्त (क्तिन्/अन्/तृच्) शब्दों में कर्त्ता और कर्म में में षष्ठी विभक्ति होती है। 
    जैसे- इयं कालिदासस्य कृतिरस्ति। यह कालिदास की कृति है।
    बालानां रोदनं बलम्। बच्चों का रोना ही बल है।

    4. सूत्र - [ क्तस्य च वर्तमाने ]
    वर्तमान अर्थ में होने वाले 'क्त' का 'त' शेष बचता है | 'क्त' प्रत्ययान्त शब्दों से योग में षष्टी विभक्ति होती है |
    जैसे- राज्ञां पूजितः विद्वान् |  वह विद्वान जो राजा द्वारा पूजा जाता है | 


    5. 
    सूत्र - [ हेतुवाचकः ]
    जब ‘हेतु, कारण, निमित्त, प्रयोजन' शब्द का प्रयोग होता है तब जो शब्द का प्रयोजन रहता है, 'वह' और 'हेतु, कारण, निमित्त, प्रयोजन' दोनों शब्दों में षष्ठी विभक्ति होती हैं ।
    जैसे- स अल्पस्य हेतोः बहु त्यजति । 
    वह थोड़े के लिए बहुत का त्याग करता है।

    6. 
    सूत्र - षष्ठीचानादरो ]
    अनादर के अर्थ में षष्ठी विभक्ति होती हैं । 
    जैसे- सः मम् निवारयतः अपि अगच्छत् ।
    रुदतः शिशोः माता वहि आगच्छत् ।

    7. 
    सूत्र - [ दूरान्तिकार्थेः षष्ठ्यन्तरस्याम् ]
    दूर और आन्तिक निकट अर्थ वाली धातुओ में षष्ठी विभक्ति होती हैं ।
    जैसे- विद्यालयः ग्रामस्य दूरम् अस्ति ।
    ग्रहस्य निकटं पत्रालयः अस्ति ।


    8. 
    सूत्र - तुल्यसदृशयोगे षष्ठी ]
    तुल्य और सदृश के योग में षष्ठी विभक्ति एवं तृतीया विभक्ति (दोनों) होती हैं ।
    जैसे- विद्यालयः ग्रामस्य दूरम् अस्ति ।
    ग्रहस्य निकटं पत्रालयः अस्ति ।

    9. 
    सूत्र - षष्ठीशेषे षष्ठी ]
    शेष में षष्ठी विभक्ति होती हैं ।
    जैसे- रामस्य पुस्तकं कुत्र अस्ति।
    बालकस्य पिता आगच्छति।


    संबंध कारक के उदाहरण - हिन्दी

    • यह मोहन का भाई है।
    • यह सोहन की किताब है।
    • सेना के जवान आ रहे हैं।
    • राम का लड़का , श्याम की लडकी , गीता के बच्चे।
    • राजा दशरथ का बड़ा बेटा राम था।
    • लडकी का सिर दुःख रहा है।

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