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lakar in sanskrit- संस्कृत की लकारें, प्रकार और भेद

नमस्कार दोस्तों 🙏 , 
स्वागत हैं आपका हमारी वेबसाइट "ज्ञान और शिक्षा" में |
    संस्कृत व्याकरण में लकारों को दस भागों में बाँटा गया है | परन्तु आज के समय में इन दस प्रकार की लकारों में से   केवल पांच प्रकार ही आज प्रचलन में हैं। जो कि इस प्रकार हैं 1. लट् लकार, 2.लङ् लकार, 3.लृट् लकार, 4.लोट् लकार तथा 5.विधि लिङ् लकार।

    lakar in sanskrit

    दोस्तों तो अब बात करते हैं उन सभी प्रकार के लकारों के बारें में उससे पहले एक नजर डालते हैं सभी 10 लकारों की सूची पर |  


    लकार के प्रकार (Types of Lakar in Sanskrit)

    1. लट् लकार (Present Tense)
    2. लिट् लकार (Past Perfect Tense)
    3. लुट् लकार (First Future Tense or Periphrastic)
    4. लृट् लकार (Second Future Tense)
    5. लेट् लकार (In the sense of conjugation)
    6. लोट् लकार (Imperative Mood)
    7. लङ्ग् लकार (Past Tense)
    8. लिङ्ग् लकार-
      1. विधिलिङ्ग् लकार (Potential Mood)
      2. आशीर्लिन्ग लकार (Benedictive Mood)
    9. लुङ्ग् लकार (Perfect Tense)
    10. लृङ्ग् लकार (Conditional Mood)

    क्रमागत परिभाषाएँ - 

    1. लट् लकार (वर्तमान काल)- 

    लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल में किया जाता है। क्रिया के जिस रूप से कार्य का वर्तमान समय में होना पाया जाता है, उसे वर्तमान काल कहते हैं।

    उदाहरण - श्याम घर जाता है - श्यामः गृहं गच्छति |
    इस वाक्य में 'जाना' क्रिया वर्तमान समय में हो रही है तो इसलिए इसमे वर्तमान काल है |

    NOTE- क्रिया सदैव अपने कर्ता के अनुसार ही प्रयोग की जाती हैं। कर्त्ता जिस भी पुरुष, वचन तथा काल का होता है, प्रयोग होने वाली क्रिया भी उसी पुरुष, वचन तथा काल की ही प्रयुक्त होती है।

    इसके अलावा आपको यह अच्छे से पता होगा कि अगर वाक्य में कर्ता, मध्यम पुरुष का है तो मध्यम पुरुष में युष्मद् शब्द (त्वम्) के रूप और यदि कर्ता उत्तम पुरुष का है तो उत्तम पुरुष में अस्मद् शब्द (अहम्) के रूप ही प्रयोग होते हैं। इसके अलावा शेष जितने भी संज्ञा या सर्वनाम के रूप हैं, उनमें प्रथम पुरुष ही प्रयोग किये जाते हैं | आइये इस बात को उदाहरण से समझते हैं।

    लट् लकार के उदाहरण -

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष वह पढ़ता है।
    सः पठति।

    फल गिरता है।
    फलं पतति।

    आप जाते हैं।
    भवान् गच्छति।
    वे दोनों पढ़ते हैं।
    तौ पठतः।

    दो फल गिरते हैं।
    फले पततः।

    आप दोनों जाते हैं।
    भवन्तौ गच्छतः।
    वे सब पढ़ते हैं।
    ते पठन्ति।

    फल गिरते हैं।
    फलानि पतन्ति।

    आप सब जाते हैं।
    भवन्तः गच्छन्ति।
    मध्यम पुरुष तुम पढ़ते हो।
    त्वं पठसि।
    तुम दोनों पढ़ते हो।
    युवां पठथः।
    तुम सब पढ़ते हो।
    यूयं पठथ।
    उत्तम पुरुष मैं पढ़ता हूँ।
    अहं पठामि।
    हम दोनों पढ़ते हैं।
    आवां पठावः।
    हम सब पढ़ते हैं।
    वयं पठामः।


    2. लिट् लकार(अद्यतन परोक्ष भूत काल)- 

    परोक्ष भूत काल का प्रयोग अप्रत्यक्ष भूतकाल में किया जाता है। अर्थात आँखों के सामने की जाने वाली क्रिया को परोक्ष भूत काल कहते हैं। इसके साथ ही उत्तम पुरुष में लिट् लकार का प्रयोग स्वप्न या उन्मत्त अवस्था में ही किया जाता है। 
    दूसरे शब्दों में -
    "जो अपने साथ न घटित होकर किसी इतिहास का विषय हो ।"

    उदाहरण - राम ने रावण को मारा ।रामः रावणं ममार ।
     वे सभी विद्वान् हुए। - ते सर्वे प्राज्ञाः बभूवुः।

    लिट् लकार के उदाहरण -

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष उसने पढ़ा।
    सः पपाठ।
    उन दोनो ने पढ़ा।
    तौ पेठतुः।
    उन सबने पढ़ा।
    ते पेठुः।
    मध्यम पुरुष तुमने पढ़ा।
    त्वं पेठिथ।
    तुम दोनों ने पढ़ा।
    युवां पेठथुः
    तुम सबने पढ़ा।
    यूयं पेठ।
    उत्तम पुरुष मैंने पढ़ा।
    अहं पपाठ।
    हम दोनों ने पढ़ा।
    आवां पेठिव।
    हम सबने पढ़ा।
    वयं पेठिम।


    3. लुट् लकार(अद्यतन भविष्य काल)-

    अद्यतन भविष्य काल में लुट् लकार का उपयोग किया जाता है। पिछली रात बारह बजे से अगली रात बारह बजे तक का समय को "अद्यतन " (अर्थात आज का समय) कहलाता है। इसके साथ ही 'आने वाली रात के बारह बजे के बाद के समय को' अद्यतन भविष्य काल कहा जाता है। 
    दुसरे शब्दों में -
    "जो आज का दिन छोड़ कर आगे होने वाला हो ।"

    उदाहरण - वह परसों विद्यालय जायेगा । - सः परश्वः विद्यालयं गन्ता ।
    मैं कल जाऊँगा | - अहं श्व: गमिष्यामि |

    लुट् लकार के उदाहरण -

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष वह पढ़ेगा/पढ़ेगी।
    सः/सा पठिता।
    वे दोनों पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    तौ/ते पठितारौ।
    वे सब पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    ते/ता पठितारः।
    मध्यम पुरुष तुम पढ़ोगे/पढ़ोगी।
    त्वं पठितासि।
    तुम दोनों पढ़ोगे/पढ़ोगी।
    युवां पठितास्थः। 
     तुम सब पढ़ोगे/पढ़ोगी।
    यूयं पठितास्थ।
    उत्तम पुरुष मैं पढूंगा/पढूंगी।
    अहं पठितास्मि।
    हम दोनों पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    आवां पठितास्वः।
    हम सब पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    वयं पठितास्मः।


    4. लृट् लकार(सामान्य भविष्य काल)-

    सामान्य भविष्य काल में, "लृट् लकार" का प्रयोग किया जाता है। क्रिया का वह रूप जिससे उसके  भविष्य में सामान्य रूप से होने का पता चलता हैं, उसे “सामान्य भविष्य काल” कहा जाता है।
    साधारण शब्दों में -
    "जो आने वाले किसी भी समय में होने वाला हो ।"

    उदाहरण - राम यह कार्य करेगा।रामः इदं कार्यं करिष्यति |
    विमला पुस्तक पढ़ेगी। - विमला पुस्तकं पठिष्यति।

    लृट् लकार के उदाहरण -

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष वह पढ़ेगा/पढ़ेगी।
    सः/सा पठिष्यति।
    वे दोनों पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    तौ/ते पठिष्यतः।
    वे सब पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    ते/ता पठिष्यन्ति।
    मध्यम पुरुष तुम पढ़ोगे/पढ़ोगी।
    त्वं पठिष्यसि।
    तुम दोनों पढ़ोगे/पढ़ोगी।
    युवां पठिष्यथः।
     तुम सब पढ़ोगे/पढ़ोगी।
    यूयं पठिष्यथ।
    उत्तम पुरुष मैं पढूंगा/पढूंगी।
    अहं पठिष्यामि।
    हम दोनों पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    आवां पठिष्यावः।
    हम सब पढ़ेगे/पढ़ेगी।
    वयं पठिष्यामः।


    5. लेट् लकार(संसय के अर्थ में भी)-

    लेट् लकार का प्रयोग केवल वेदों में उपलब्ध लौकिक संस्कृत में हैं, ये लकार वेदों में ईश्वर के लिए ही प्रयोग होता है क्योकिं वह किसी काल में बंधे नहीं हैं |

    6. लोट् लकार(आज्ञार्थक)-

    लोट् लकार का उपयोग आदेश, प्रार्थना, आज्ञा, अनुमति, आशीर्वाद आदि की बोध कराने के लिए किया जाता है।
    उदाहरण - 
    1. आज्ञा - तुम घर जाओ। - त्वं गृहं गच्छ।
    2. प्रार्थना- आप मेरे घर आयें। - भवान मम गृहं आगच्छतु।
    3. अनुमति- मैं कहाँ जाऊँ ? - अहं कुत्र गच्छानि?
    4. आशीर्वाद- तुम बहुत समय तक जियो। त्वं चिरं जीव।

    लोट् लकार के उदाहरण -

    पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
    प्रथम पुरुषवह पढ़े।
    सः पठतु।
    वे दोनों पढ़े।
    तौ पठताम्।
    वे सब पढ़े।
    ते पठन्तु।
    मध्यम पुरुषतुम पढ़ो।
    त्वं पठ।
    तुम दोनों पढ़ो।
    युवां पठतम्।
    तुम सब पढ़ो।
    यूयम् पठत।
    उत्तम पुरुषमैं पढ़ूँ।
    अहं पठानि।
    हम दोनों पढ़े।
    आवां पठाव।
    हम सब पढ़े।
    वयं पठाम।


    7. लङ्ग् लकार(अनद्यतन भूतकाल)-

    अनद्यतन भूतकाल, जो क्रिया आज से पहले हो चुकी है, अर्थात क्रिया आज समाप्त नहीं हुई है, बल्कि कल या उससे भी पहले की गई है, वह अद्यतन काल है।
    साधारण शब्दों में -
    "आज का दिन छोड़ कर किसी अन्य दिन जो हुआ हो ।"

    उदाहरण - आपने उस दिन भोजन पकाया था।
    भवान् तस्मिन् दिने भोजनमपचत् ।

    लङ्ग् लकार के उदाहरण -

    पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
    प्रथम पुरुषउसने पढ़ा।
    स: अपठत्।
    उन दोनों ने पढ़ा।
    तौ अपठताम्।
    उन सबने पढ़ा।
    ते अपठन्।
    मध्यम पुरुषतुमने पढ़ा।
    त्वम् अपठः।
    तुम दोनों ने पढ़ा।
    युवाम् अपठतम्।
    तुम सबने पढ़ा।
    यूयं अपठत।
    उत्तम पुरुषमैंने पढ़ा।
    अहम् अपठम्।
    हम दोनों ने पढ़ा।
    आवाम् अपठाव।
    हम सबने पढ़ा।
    वयम् अपठाम्।

    8. लिङ् लकार = 

    इसमें दो प्रकार के लकार होते हैं :--

        (क) विधिलिङ्ग् लकार(चाहिए के अर्थ में)-

                    विधिलिङ्ग् लकार का उपयोग कानून चाहिए, निमंत्रण, आदेश, कानून, निर्देश, प्रश्न और प्रार्थना आदि के अर्थ को समझने के लिए किया जाता है।
    उदाहरण - 
    1. निमन्त्रण- आप आज यहाँ भोजन करें। भवान अद्य अत्र भक्षयेत्।
    2. आदेश- नौकर खेत पर जाये। भृत्यः क्षेत्रे गच्छेत्।
    3. प्रश्न- तुम्हें क्या करना चाहिये? त्वंम् किम कुर्याः?

    विधिलिङ्ग् लकार के उदाहरण -

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष उसे पढ़ना चाहिये।
    सः पठेत्।
    उन दोनों को पढ़ना चाहिये।
    तौ पठेताम्।
    उन सबको पढ़ना चाहिये।
    ते पठेयुः।
    मध्यम पुरुष तुम्हें पढ़ना चाहिये।
    त्वं पठे।
     तुम दोनों को पढ़ना चाहिये।
    युवां पठेतम्।
    तुम सबको पढ़ना चाहिये।
    यूयं पठेत।
    उत्तम पुरुष मुझे पढ़ना चाहिये।
    अहं पठेयम्।
    हम दोनों को पढ़ना चाहिये।
    आवां पठेव्।
    हम सबको पढ़ना चाहिये।
    वयं पठेमः।

        (ख) आशीर्लिङ् लकार(आशीर्वाद)-

    आशीर्वाद के अर्थ में आशीर्लिङ् लकार का प्रयोग किया जाता है।

    उदाहरण - राम विजयी हो।रामः विजीयात्। 

    आशीर्वाद - आप जिओ |भवान् जीव्यात् |


    आशीर्लिङ् लकार के उदहारण-

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष वह पढे।
    सः पठ्यात्।
    वे दोनों पढ़े।
    तौ पठ्यास्ताम्।
    वे सब पढ़े।
    ते पठ्यासु।
    मध्यम पुरुष तुम पढ़ो।
    त्वं पठ्याः।
    तुम दोनों पढ़ो।
    युवां पठ्यास्तम्।
    तुम सब पढ़ो।
    यूयं पठ्यास्त।
    उत्तम पुरुष मैं पढ़ूँ।
    अहं पठ्यासम्।
    हम दोनों पढ़े। आवाम् पठ्यास्व। हम सब पढ़े।
    वयम् पठ्यास्म।


    9. लुङ्ग् लकार(सामान्य भूत काल)-

    क्रिया के जिस रूप में भूतकाल के साधारण रूप का बोध हो उसे सामान्य भूतकाल कहा जाता हैं लुङ्ग् लकार सरल भूत काल का उपयोग करता है। सामान्य भूतकाल का प्रयोग प्रायः सभी भूतकाल के लिए किया जाता है।
    साधारण शब्दों में -
    "जो कभी भी बीत चूका हो"

    उदाहरण - मैंने खाना खाया।अहं भोजनम् अभक्षत् ।

    मैंने पुस्तक पढ़ी |अहं पुस्तकम् अपाठिषम्।

    लुङ्ग् लकार के उदहारण-

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष उसने पढ़ा।
    स: अपाठीत्।
    उन दोनों ने पढ़ा।
    तौ अपाठिष्ताम्।
    उन सबने पढ़ा।
    ते अपाठिषु:।
    मध्यम पुरुष तुमने पढ़ा।
    त्वम् अपाठी:।
    तुम दोनों ने पढ़ा।
    युवाम् अपाठिष्टम्
    तुम सबने पढ़ा।
    यूयम् अपाठिष्ट।
    उत्तम पुरुष मैंने पढ़ा।
    अहम् अपाठिषम्।
    हम दोनों ने पढ़ा।
    आवाम् अपाठिष्व।
    हम सबने पढ़ा।
    वयम् अपाठिष्म।


    10. लृङ्ग् लकार(हेतु हेतुमद भूतकाल)-

    यदि भूत काल में एक क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर करती है, तो इसका कारण भूत काल है। इस तरह के वाक्यों एक शर्त सी लगी होती है
    साधारण शब्दों में - 
    "ऐसा भूत काल जिसका प्रभाव वर्तमान तक हो"

    उदाहरण -यदि तू पढ़ता तो विद्वान् बनता। 
    यदि त्वम् अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् भवितुम् अर्हिष्यत् ।
    यदि मैं पढ़ता तो विद्वान् हो जाता।  
    अहम् अपठिष्यम् तर्हि विद्वान अभविष्यम्।

    लृङ्ग् लकार के उदहारण-

    पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
    प्रथम पुरुष उसने पढ़ा होता।
    सः अपठिष्यत्।
    उन दोनों ने पढ़ा होता।
    तौ अपठिष्यताम्।
    उन सबने पढ़ा होता।
    ते अपठिष्यन्।
    मध्यम पुरुष तुमने पढ़ा होता।
    त्वम् अपठिष्यः।
    तुम दोनों ने पढ़ा होता।
    युवाम् अपठिष्यतम्।
    तुम सबने पढ़ा होता।
    यूयम् अपठिष्यत।
    उत्तम पुरुष मैंने पढ़ा होता।
    अहम् अपठिष्यम्।
    हम दोनों ने पढ़ा होता।
    आवाम् अपठिष्याव।
    हम सबने पढ़ा होता।
    वयम् अपठिष्याम।

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    1 comment:

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