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ज्ञान और शिक्षा में क्या अंतर है? (Difference Knowledge and Education ?)


दोस्तों आज के इस लेख में हम जानेंगे कि ज्ञान और शिक्षा में क्या अंतर होता है तथा एक ज्ञानी पुरुष और एक शिक्षित पुरुष के क्या लक्षण होते हैं। वैसे तो शिक्षा और ज्ञान एक दूसरे के पूरक अर्थात एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
 क्योंकि शिक्षा केे बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती और दूसरी तरफ यदि कोई व्यक्ति जिसने अच्छा तो प्राप्त की है परंतु ज्ञान नहीं तो उसकी शिक्षा को भी अधूरा माना जाता है। 
अब आप लोगों के मन में इस लाइन को लेकर बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं तो आइए आप लोगों के मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब जानने के लिए हमारी पोस्ट को पूरा पढ़ें। तो बिना किसी देरी के आगे बढ़ते हैं।
    नमस्कार दोस्तों 🙏 , आपका हमारी वेबसाइट "ज्ञान और शिक्षा" में बहुत-बहुत स्वागत है | आप लोग कैसे हैं ? आशा करता हूं कि आप लोग अच्छे होंगे !!
    Ques. - ज्ञान और शिक्षा में क्या अंतर है? (different in the Knowledge and Education ?)

    Ans.- 

    ज्ञान किसे कहते हैं ? (what is the knowledge ?) 

    ज्ञान को अंग्रेजी में ( Knowledge)  कहते हैं | यह एक अनौपचारिक अनुभव होता है | अब आप सोच रहें होंगे कि अनौपचारिक अनुभव क्या होता हैं आइये जानते हैं -

    अनौपचारिक अनुभव क्या होता है ?  
    वह अनुभव जिसका स्रोत निश्चित नहीं होता है ये अनुभव आपको किताबों में नियम बध्य तरीके से नहीं मिलता है, इसका अनुभव दैनिक जीवन में स्वत: हो जाता है | इसको हम बहुत ही सरल उदाहरण से समझते हैं |

    " जैसे बचपन में हम कभी न कभी एक बार आग से अवश्य ही जले होंगे | एक बार जलने के बाद आप स्वत: ही दुवारा आग के पास नहीं गये होंगे | क्योंकि आपको पता चल गया कि आग को छूने से  आप जल जाते हो या आपको नुकसान पहुँचता हैं | " अब क्योंकि आग से जल जाने कि यह घटना किसी ने आपके साथ योजनाबध्य तरीके से नहीं की थी यह अचानक हो गयी थी अर्थात इसका स्वरूप अनौपचारिक था |


    तो आपको इस बात का स्वत: की ज्ञान हो गया कि आग को छूने से हम जल जाते हैं | तो यह ज्ञान और जो अनुभव आपको प्राप्त हुआ जो अनौपचारिक अनुभव था | मुझे आशा है आप इस बात को अच्छे से समझ गयें होगें | कि

    ज्ञान का दूसरा अर्थ किसी व्यक्ति के जीवन से जुड़ें उतार- चढाव और संघर्षों से प्राप्त शिक्षा से भी होता है | इसके साथ ज्ञान व्यक्ति के किसी विषय विशेष के साथ उसकी जागरूकता से भी जुड़ा होता है | जैसे किसी एक व्यक्ति की रूचि और उस रूचि से सम्बंधित ज्ञान किसी एक विषय के प्रति अधिक होता है 
    उदाहरण के लिए - हम कहते है कि उस व्यक्ति को वेदों और वैदिक मन्त्रों का बहुत अच्छा ज्ञान है |  

    दुसरें शब्दों में अर्थात आज के युग में - हम कहते है कि आज कोई व्यक्ति जो अपना व्यवसाय (business start) करना चाहता है उसे अपने बिज़नस से पूर्व अपने व्यवसाय से सम्बंधित बड़े व्यवसायी (बिज़नस मेन) के जीवन अनुभव से ज्ञान प्राप्त करके अपने व्यवयाय को आगे बढ़ाना चाहिए | जिससे शायद आपको उन अतिरिक्त संघर्षो का सामना न करना पड़ें | 

    तो अब हम इन सभी तथ्यों से समझ चुके हैं कि " ज्ञान व्यक्ति के दिमाग की वह निधि हैं जिसे वह समाज में रहकर अपने अनुभवों से प्राप्त करता है और फिर स्वत: ही विकसित होता रहता है| "

    ज्ञान कोई किताबी नियमबध्य विद्या नहीं | इसे गतिविधिक और मौखिक स्वरूप में प्राप्त किया जा सकता हैं | शिक्षा एक गुरु द्वारा प्रदान की जाती है परन्तु ज्ञान का स्वरूप इतना विराट है कि इसमे आपका कोई एक गुरू नहीं बल्कि इसमे आपका गुरू आपके अनुभव, आपका जीवन और आपके अपनों से जुड़े परामर्श और संघर्ष भी सामिल हैं |

    इससे एक तथ्य और सामने आता हैं कि ज्ञान को कभी भी नियमों में नहीं बाधा जा सकता है |  ज्ञान लेने और देने वालों की आयु , ज्ञान ग्रहण करने में कभी भी बाधक नहीं होती है | 

    कभी-कभी एक छोटा सा बच्चा भी आपको वह ज्ञान और अनुभव प्रदान कर सकता है जो आपने अपने जीवन में कभी भी न प्राप्त किया हो | तो इस कारण ज्ञान में आयु सीमा बाधक नहीं | अब हम इसके निष्कर्ष के बारें में बात करते हैं |

    शिक्षा क्या है? (what is the education?)


    जैसा कि हम सब जानतें हैं कि शिक्षा को अंग्रेजी में (Education) कहते हैं | तो इसलिए शिक्षा वह व्यवस्था है जिसके द्वारा हम अपने ज्ञान को विकसित करते हैं बिना शिक्षा के ज्ञान असंभव है | परन्तु ज्ञान और शिक्षा में सबसे बड़ा अंतर यह है कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए हमे एक चरणबध्य पद्धति का पालन करना पड़ता है | 

    इसको उदाहरण से समझते हैं-
    तो जैसा मैंने बताया यह प्रक्रिया नियम से चलती है, " इसमे पहले एक बच्चे को स्कूल जाना होता है और एक निश्चित पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या को निभाते हुए सभी कक्षा को उत्तीर्ण करके कॉलेज या यूनिवर्सिटी तक का सफर पूर्ण करना होता है |"

    इन सभी पाठ्यक्रमों और चरणों के इस सफ़र के दौरान ही आपको शिक्षा के साथ ज्ञान भी प्राप्त होता है |


    परंतु यह आवश्यक नहीं होता है कि जो व्यक्ति शिक्षित है वह ज्ञानी भी होगा ? ज्ञान के बारें में हम आगे विस्तार में जानेंगे | तो हम पहले शिक्षा को एक अन्य परिपेक्ष में समझ लेते हैं। वैसे शिक्षा कई प्रकार की होती हैं। क्योंकि पहले के लोग शिक्षा को एक आवश्यक संस्कार मानते थे। उनके शिक्षा ग्रहण करने का उद्देश्य अपने ज्ञान चक्षु को खोलना तथा विकसित करना , एक सभ्य और संस्कारी मनुष्य बनना होता था। 

    परन्तु वर्तमान समय में शिक्षा एक संस्कार नहीं है अपितु शिक्षा एक व्यवसाय और व्यापर हो गयी है | ऐसा बहुत अधिक देखने को मिलता हैं कि पढ़े लिखे व्यक्ति के संस्कार आज बहुत निम्न कोटि के हो गये हैं न ही वो बड़ों का आदर करना जानते हैं और न सम्मान , इनसे ज्यादा संस्कार के अनपढ़ में देखने को मिल जायेंगे | एक अनपढ़ व्यक्ति पड़ना लिखना भले ही न जाने पर दूसरों के आदर और सम्मान के संस्कार उसमे अवश्य होते है | 

    शिक्षा एक व्यवसाय और व्यापर हो गयी है इसका अर्थ यह है कि शिक्षा का उद्देश्य आज संस्कार और संस्कृति को जानना और समझना नहीं रहा , शिक्षा का आज अर्थ किसी कॉलेज से डिग्री प्राप्त करके पैसा कमाने से हो गया हैं | इसमे केवल छात्र का दोष है यह कहना गलत होगा इसमे सबसे अधिक दोष संस्थानों का भी हैं | क्योंकि आज संस्थान शिक्षा प्रमाणपत्र अर्थात डिग्री बेचने की दूकान मात्र ही बन के रह गये हैं | ऐसा नहीं हैं कि इसमे सभी संस्थान सामिल हैं परन्तु डिग्री बेचने वाले संस्थानों की संख्या काफी अधिक हैं | 

    इस प्रकार की शिक्षा लेने वाले लोगों को हम शिक्षित व्यक्ति नहीं कह सकते हैं इन लोगों को केवल पढ़े-लिखे व्यक्ति कहना ही उचित होगा | क्योकिं यह लोग पढ़ और लिख तो सकते हैं | परन्तु इसने शिक्षित होने के संस्कारों का आज अभाव देखने को मिलता है | 

    ज्ञान और शिक्षा का निष्कर्ष-

    इससे पहले की मैं अपना निष्कर्ष बताऊ उससे पहले मैं चाहता हूँ कि पूरे लेख को पड़ने के बाद आपका निष्कर्ष क्या हैं ? आप ज्ञान और शिक्षा को किस तरह अपने जीवन से जोड़ते हैं ? आप सभी लोग अपना अनुभव नीचे Comment Box हमें जरूर बताएं |

    निष्कर्ष - दोनों को पड़ने के बाद हम यह कह सकते हैं ज्ञान अशाब्दिक होकर भी पूर्ण स्वरूप में जीवन को शांति और सफलतापूर्वक यापन करने में सक्षम हैं | जबकि शिक्षा का आज अस्तिव केवल पाठ्यक्रिया और पाठ्य अध्ययन से संबधित ही रह गया है | 


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