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Kriya ki paribhasha, क्रिया – परिभाषा, भेद, और उदाहरण

क्रिया(Verb) - क्रिया के जिस रूप से किसी का कार्य का करना या होना पाया जाए उसे क्रिया कहते हैं | जैसे: 
  1. राम खेल रहा है |
  2. गीता चाय बना रही है |
    नमस्कार दोस्तों 🙏 , स्वागत हैं आपका हमारी वेबसाइट "ज्ञान और शिक्षा" में |

    क्रिया की परिभाषा:

    जिस शब्द अथवा शब्द-समूह के द्वारा किसी कार्य के करने, होने अथवा किये जाने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-
    1. गीता ‘नाच रही है’।
    2. राम घर ‘जा रहा है’।
    3. बच्चा पानी ‘पी रहा है’।

    इनमें ‘नाच रही है’, ‘जा रहा है’, ‘पी रहा है’ शब्दों से कार्य के करने अथवा होने का बोध हो रहा हैं। अतः ये क्रियाएँ हैं। क्रिया से सम्बंधित एक प्रश्न और पुछा जाता है कि --

    धातु किसे कहते हैं ? 

    क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। इसके 4 भेद होते है‍‍‌
    1. सामान्य धातु या मूल धातु
    2. व्युत्पन्न धातु या यौगिक धातु
    3. नाम धातु
    4. मिश्र धातु

    सामान्य धातु या मूल धातु की परिभाषा -

    मूल धातु स्वतन्त्र होती हैं यह किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती है। जैसे – लिख, पढ़, जा, खा आदि।

    व्युत्पन्न धातु या यौगिक धातु की परिभाषा -

    यह सामान्य धातु में प्रत्यय लगाकर बनती है। जैसे: लिख + ना = लिखना , पढ़ + ना पढ़ना आदि।

    नाम धातु की परिभाषा -

    यह संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों में प्रत्यय लगाकर बनती है। जैसे: बात से बतियाना, गर्म से गरमाना आदि।

    मिश्र धातु की परिभाषा -

    यह संज्ञा, विशेषण तथा क्रियाविशेषण शब्दों के बाद करना, लेना, लगना, होना, आना आदि लगाकर बनती है। जैसे: खा-लेना, गा-लेना आदि।

    क्रिया के भेद :

    क्रिया के 2 भेद होते है
    1. कर्म के आधार पर
    2. प्रयोग के आधार पर

    कर्म के आधार पर क्रिया के भेद :

    कर्म के आधार पर या रचना की दृष्टि से क्रिया के दो भेद हैं-

    1. अकर्मक क्रिया।
    2. सकर्मक क्रिया।
    • अन्य – द्विकर्मक क्रिया

    1- अकर्मक क्रिया:

    जिन क्रियाओं का असर कर्ता पर ही पड़ता है वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती।

    अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण :
    1. गीता हँसती है।
    2. बस चलती है।
    3. बच्चा रो रहा है।

    2- सकर्मक क्रिया

    जिन क्रियाओं का असर कर्ता पर नहीं कर्म पर पड़ता है, वह सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक होता हैं.

    सकर्मक क्रिया के उदाहरण –
    1. गीता ने सेब खाया
    2. मोहन पानी पी रहा है।
    3. सुनीता फल लाती है।

    पहचान :  क्रिया के साथ क्या अथवा किसको लगाकर प्रश्न पूछने पर जो उत्तर मिलता है वह कर्म कहलाता है। जिन वाक्यों में एक कर्म होता है उन्हे एककर्मक तथा दो कर्म वालो को द्विकर्मक कहते है। जिन वाक्यों में प्रश्न करने पर उत्तर मिलता है उन्हे सकर्मक अथवा जिनमे नहीं मिलता उन्हे अकर्मक क्रिया कहते है।

    द्विकर्मक क्रिया:

    जिन क्रियाओं के दो कर्म होते हैं, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं।

    द्विकर्मक क्रिया के उदाहरण-
    1. मैंने मोहन को पुस्तक दी।
    2. मोहन ने राधा को फल दिए।
    ऊपर के वाक्यों में ‘देना’ क्रिया के दो कर्म हैं। अतः देना द्विकर्मक क्रिया हैं।

    प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद-

    1. संयुक्त क्रिया
    2. सहायक क्रिया
    3. प्रेरणार्थक क्रिया
    4. पूर्वकालिक क्रिया

    संयुक्त क्रिया की परिभाषा :

    जब क्रिया दो या दो से अधिक के मेल से बनी हो तो उसे संयुक्त क्रिया कहते है। जैसे: मैंने संदेश लिख दिया है।

    सहायक क्रिया की परिभाषा :

    जो क्रिया शब्द, मुख्य क्रिया शब्द के साथ वाक्य निर्माण में सहायता करते है उन्हे सहायक क्रिया कहते है। जैसे: तुम खेल रहे थे।

    प्रेरणार्थक क्रिया क्रिया की परिभाषा :

    जिन शब्द के माध्यम से यह पता चलता है कि कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते है। जैसे: मैने सेवक से काम करवाया।

    पूर्वकालिक क्रिया क्रिया की परिभाषा :

    जिन क्रिया शब्द को मुख्य क्रिया से पूर्व प्रयोग किया जाता उन्हे पूर्वकालिक क्रिया कहते है। जैसे: मोहन पढ़कर खेलने चला गया।
     

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